एक सज्जन को अपने प्रिय पालतू कुत्ते को अपने भाई के पास छोड़कर कुछ दिनों के लिये बाहर जाना पड़ा । जब वे वापस लौटे तो उन्होंने अपने भाई से कुत्ते को लाने को कहा । भाई ने डरते - डरते बताया, ''भैया, कुत्ता तो कल अचानक चल बसा।''
सज्जन बहुत दुखी होते हुये अपने भाई पर नाराज हुये - ''ये कोई तरीका है बुरी खबर देने का! तुमने ये भी नहीं सोचा कि इस तरह अचानक तुम मुझे उसके मरने की खबर सुनाओगे तो मुझ पर क्या गुजरेगी! अरे, जब मैंने तुम्हें यहां से जाने के बाद पहली बार फोन किया था तब तुम कह सकते थे वह छत पर है और नीचे नहीं आ रहा है। दूसरी बार जब मैंने फोन किया तो तुम कहते कि वह जरा बीमार है और डाक्टर उसका इलाज कर रहा है। तीसरी बार जब मैंने फोन किया था तो तुम बताते कि वह गुजर गया है। इस तरह कम से कम मैं यह दुख सहने के लिये अपने आप को तैयार तो कर लेता।''
भाई को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने माफी मांगी।
''खैर, ये बताओ मां कैसी हैं ?'' सज्जन ने पूछा।
''वे छत पर हैं और नीचे नहीं आ रही हैं!'' भाई ने जवाब दिया।
सज्जन बहुत दुखी होते हुये अपने भाई पर नाराज हुये - ''ये कोई तरीका है बुरी खबर देने का! तुमने ये भी नहीं सोचा कि इस तरह अचानक तुम मुझे उसके मरने की खबर सुनाओगे तो मुझ पर क्या गुजरेगी! अरे, जब मैंने तुम्हें यहां से जाने के बाद पहली बार फोन किया था तब तुम कह सकते थे वह छत पर है और नीचे नहीं आ रहा है। दूसरी बार जब मैंने फोन किया तो तुम कहते कि वह जरा बीमार है और डाक्टर उसका इलाज कर रहा है। तीसरी बार जब मैंने फोन किया था तो तुम बताते कि वह गुजर गया है। इस तरह कम से कम मैं यह दुख सहने के लिये अपने आप को तैयार तो कर लेता।''
भाई को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने माफी मांगी।
''खैर, ये बताओ मां कैसी हैं ?'' सज्जन ने पूछा।
''वे छत पर हैं और नीचे नहीं आ रही हैं!'' भाई ने जवाब दिया।
No comments:
Post a Comment