आज भी धन की देवी महलों में कैद है रूकावट के लिए खेद है
उनका विकास ड्रामा खूब चला,
लेकिन हल्कू की झोपडी में दीपक इस बार भी नहीं जला।
उसकी आदत थी जुल्फे लहराने की। मेरी आदत थी इक झलक पाने की।
अंजामें इश्क का पता तब चला, उसकी तो आदत थी फंसा के पिटवाने की।
मौत मिल जाती तो अच्छा होता। जिंदगी छिन जाती तो अच्छा होता।
ये भूल थी तेरी जो सोचता था, मुहब्बत मिल जाती तो अच्छा होता।
रह गई हक्की-बक्की खुशहाली और तरक्की,
नेता चालू पब्लिक झक्की,
हिसाब-किताब टोटल नक्की।
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